खजुराहो (Khajuraho) के मंदिरों में क्यों हैं कामुक मुद्रा वाली मूर्तियां, जानिए रहस्य : मध्य प्रदेश दर्शन 1 - गांव सरकार | Gaon Sarkar

खजुराहो (Khajuraho) के मंदिरों में क्यों हैं कामुक मुद्रा वाली मूर्तियां, जानिए रहस्य : मध्य प्रदेश दर्शन 1

संभोग की विभिन्न क्रीड़ाओं के लिए प्रसिद्ध हैं खजुराहो के मंदिर, यहां देखने को मिलती है अद्भुत नक्काशी और कारीगरी
भोपाल। ये तो सभी जानते हैं कि खजुराहो के मंदिरों (Khajuraho Ke Mandir) का इतिहास करीब एक हजार साल पुराना है। खजुराहो भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो के मंदिर सेक्स यानी संभोक की विभिन्न क्रीड़ाओं को दर्शाने वाली मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। अब हम आपको बताते हैं कि चंदेल वंश के राजाओं ने ये मूर्तियां क्यों बनवाईं। खजुराहो के इन मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चन्देल राजाओं द्वारा किया गया था। उस समय चंदेल राजाओं द्वारा किया गया।यहा 85 मंदिरों का निर्माण हुआ था। वर्तमान में इनमें से 22 मंदिर ही बचे हैं। खजुराहो आज भी देशी और विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है। यहां हर महीने हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। विदेशी पर्यटक इन मंदिरों की कलाकृति को देखकर अचंभित हो जाते हैं।

इसलिए बनवाईँ थीं खजुराहो में सेक्स की मूर्तियां (Sex sculptures in Khajuraho) 

चंदेल वंश के राजाओं द्वारा खजुराहो (Khajuraho) में बनवाईं गईं मूर्तियों को लेकर अलग-अलग मान्यता हैं। माना यह भी जाता है कि चंदेश वंश के राजा योग और भोग को मोक्ष का माध्यम मानते थे। चंदेल वंश के राजाओं के शासनकाल में खजुराहो में तांत्रिक समुदाय की उपासनामार्गी शाखा का अत्याधिक बोलबाला हुआ करता था। खजुराहो के मंदिरों में बनीं ये मूर्तियां उनके क्रिया-कलापों की ही देन हैं। इसी के चलते यहां ये मूर्तियां बनाई गईँ। संभोग की अलग-अलग मुद्राओं वाली इन मूर्तियों की कलाकृति भी देखने लायक है।
खजुराहो की मूर्तियों का रहस्य The mystery of Khajuraho sculptures)
बुंदेलखंड में, खजुराहो के मंदिर के निर्माण के संबंध में एक और मान्यता प्रचलित है। एक बार राजपुरोहित हेमराज की सुपुत्री हेमवती शाम के समय झील में स्नान करने पहुंची। उस समय चंद्रदेव ने स्नान करती अति सुंदर हेमवती को देखा तो चंद्रदेव को उससे प्रेम हो गया। उसी क्षण चंद्रदेव अति सुन्दर हेमवती के सामने प्रकट हुए और उनसे विवाह का निवेदन कर दिया। कहा जाता हैं कि उनके मधुर संयोग से एक पुत्र का जन्म हुआ और उसी पुत्र ने चंदेल वंश की स्थापना की थी। हेमवती ने समाज के डर के कारण उस पुत्र को वन में करणावती नदी के तट पर पाला था। पुत्र को चंद्रवर्मन नाम दिया। अपने समय मे चंद्रवर्मन एक प्रभावशाली राजा माना गया। चंद्रवर्मन की माता हेमवती ने उसके स्वप्न में दर्शन दिए और ऐसे मंदिरों के निर्माण के लिए कहा, जो समाज को ऐसा संदेश दें जिससे समाज मे कामेच्छा को भी जीवन के अन्य पहलुओं के समान अनिवार्य समझा जाए और कामेच्छा को पूरा करने वाला व्यक्ति कभी दोषी न हो।

खजुराहो में सेक्स की प्रेरणा देने वाले 85 मंदिर बने Khajuraho built 85 sex-inspiring temples)
चंद्रवर्मन ने मंदिरों के निर्माण के लिए खजुराहो को चुना। खजुराहो को अपनी राजधानी बनाकर उसने यहां 85 वेदियों का एक विशाल यज्ञ किया। बाद में 85 वेदियों के स्थान पर ही 85 मंदिर बनवाए थे, जिन मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के आगे के राजाओं ने जारी रखा। 85 मंदिरों में से आज यहां केवल 22 मंदिर ही बाकी हैं। 14वीं शताब्दी में चंदेल खजुराहो से चले गए थे। और उसी के साथ वह दौर खत्म हो गया।